‘एड्स’ एक जानलेवा बीमारी है जो धीरे-धीरे समूचे विश्व को खाती जा रही है । दुनियाभर के वैज्ञानिक वर्षों से इसकी रोकथाम के लिए औषधि की खोज में लगे हैं परंतु अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिल सकी है ।
वे सभी व्यक्ति जो एड्स से ग्रसित हैं उनमें एच॰ आई॰ वी॰ वायरस अर्थात् विषाणु पाए जाते हैं । आज विश्वभर में एड्स से प्रभावित लोगों की संख्या चार करोड़ से भी ऊपर पहुँच गई है । अकेले दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशिया में ही लगभग एक करोड़ लोग एच॰ आई॰ वी॰ से संक्रमित हैं ।
पूरे विश्व में ‘एड्स’ को कर तरह-तरह की चर्चाएँ हैं । सभी बेसब्री से उस दिन की इंतजार कर रहे हैं जब वैज्ञानिक इसकी औषधि की खोज में सफल हो सकेंगे । एड्स का पूरा नाम (Acquired Immune Deficiency Syndrome. ) है।
वैज्ञानिक सन् 1977 ई॰ में ही इसके प्रति सचेत हो गए थे जब विश्व भर के 200 से भी अधिक वैज्ञानिकों का एक सम्मेलन अमेरिका में हुआ था । परंतु वास्तविक रूप में इसे मान्यता सन् 1988 में मिली । तभी से 1 दिसंबर को हम ‘एड्स विरोधी दिवस’ के रूप में जानते हैं ।
सिर्फ थार्ईलैंड में ही हर वर्ष लगभग 3 से 4 हजार लोग एड्स के कारण मर रहे हैं । अधिक गहन अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि विश्व भर में प्रति मिनट लगभग 25 लोग एड्स के कारण मरते हैं ।
एड्स होने के कारण
1. किसी स्त्री या पुरुष द्वारा एच॰ आई॰ वी॰ संक्रमित स्त्री या पुरुष के साथ संभोग से ।
2. दूषित रक्त संचरण से ।
3. दूषित सुई के प्रयोग से ।
4. एच॰ आई॰ वी॰ संक्रमित महिला के गर्भ से ।
5. यदि मां संक्रमित है एड्स से, तो होने वाला शिशु भी संक्रमित ही पैदा होता है। इस प्रकार ट्रांसप्लांटेशन संक्रमण से भी एड्स लगभग 60 प्रतिशत तक फैलता है। बाकी बचा 40 प्रतिशत मां के दूध
एड्स होने के लक्षण
एड्स के कोई खास लक्षण नहीं होते है , ये अन्य बीमारियों में होने वाले लक्षण ही होते हैं, जैसे-
1. वजन में कमी होना
2. 30-35 दिन से ज्यादा डायरिया रहना
3. लगातार बुखार बना रहना ।
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